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गीत ख़ुशी के गाये जा

आज दिनांक २१.८.२३ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर मेरी प्रस्तुति
प्रतियोगिता वास्ते
गीत ख़ुशी के गाये जा :
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दौलत संग्रह क्यों करें,तू दीन पर लुटाये जा,
बांट खुशियां गैर को ,तू खुशी के गीत गाये जा।

परिश्रम से अर्जित धन सदा सुखद ही होता है,
न संग्रह कर तिजोरी मे , परिवार पर लुटाऐ जा।

जरूरत पर परिवार ही किसी का साथ दिया करता है,
दीन-हीन की दुआओं का भी अद्वितीय फल मिलता है।

इन आशाओं को सोच सोच,सहायता न किसी की करना,
कर्म करना ही उचित है हमको,न फल की कामना करना।

सत्कर्मों का फल सदा सुखद ही होता है,
अन्त समय आने पर ही ये फल परिलक्षित होता है।

भविष्य का सोचना है तो बस अन्त समय का ध्यान करो,
न बेबस बन ज़ीना होगा, सत्कर्म सदा इसीलिए कऱो।

खुशियां बांटो सदा खुश होकर ,इस मूलमंत्र को गाये जा,
बांटो खुशियां गैर को और ख़ुशी के गीत गाये जा।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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1 Comments

बहुत ही सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,, खूबसूरत संदेश

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